जहाँ बेटी का सम्मान हो, जहाँ हर कन्या की डोली उठे और उसे सुखद भविष्य मिले, वही सच्चा धर्म और वही सच्चा राष्ट्र है। बागेश्वर धाम केवल एक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि सेवा, समर्पण और सहयोग की जीवंत परंपरा है।
यहाँ प्रति वर्ष सैकड़ों असहाय, निर्धन और जरूरतमंद कन्याओं का भव्य विवाह महोत्सव आयोजित किया जाता है, जिसके माध्यम से पूज्य गुरुदेव अविवाहितों होते हुए भी हजारों बेटियों के धर्मपिता बने हैं।
यह आयोजन पूज्य आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के मार्गदर्शन में बागेश्वर धाम सेवा समिति द्वारा संचालित किया जाता है, जहाँ हर बेटी को सम्मान और संपूर्ण सहयोग मिलता है।
इसमें सम्मिलित होती हैं, क्योंकि सेवा में कोई भेदभाव नहीं होता।
इस पुण्य कार्य में उपयोग होती है – हर भक्त का योगदान इसे और भव्य बनाता है।
बल्कि सनातन संस्कृति का वह स्वरूप है, जहाँ सक्षम और अक्षम मिलकर एक-दूसरे को सशक्त बनाते हैं।
आशीर्वाद और एक नए जीवन की सौगात दी जाती है।
हमें सिखाती है कि किसी को भूखा न सोने देना ही सच्चा धर्म है।
हमें सिखाता है कि धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि सेवा भी है।
हमें याद दिलाती है कि जब हिंदू एक होता है, तो राष्ट्र पुनः जाग्रत होता है।
यह बताता है कि धर्म वहीं है, जहाँ बेटियों का सम्मान और भविष्य सुरक्षित हो।
बागेश्वर धाम का यह महायज्ञ एक हिंदू राष्ट्र का ही प्रतिबिंब है, जहाँ धर्म, सेवा और परोपकार सर्वोपरि हैं।
आपने आज इस श्री बागेश्वर धाम संकल्प दर्शन दीक्षा में अपना अमूल्य समय दिया, बागेश्वर धाम के विचारों को जाना, हिंदू राष्ट्र के वास्तविक स्वरूप को समझा – इसके लिए पूज्य गुरुदेव और बागेश्वर धाम सेवा समिति आपका हृदय से आभार व्यक्त करती है।