"अन्नपूर्णा"

सेवा का अमृत कलश

अन्नपूर्णा प्रसाद भवन: जहाँ करुणा अर्पित होती है और हर भूखा तृप्त होता

जहाँ कोई भूखा न सोए, वहीं सच्चा रामराज्य है। जहाँ अन्न सेवा को सर्वोपरि माना जाए, वही सनातन धर्म का वास्तविक स्वरूप है। बागेश्वर धाम में बालाजी महाराज और सन्यासी बाबा की कृपा से पिछले 10 वर्षों से नि:शुल्क अन्नपूर्णा सेवा अनवरत चल रही है। यह सेवा केवल एक भंडारा नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के उस विराट दर्शन का प्रतीक है, जहाँ हर भूखे को अन्न, हर प्यासे को जल, और हर जरूरतमंद को सहयोग देना ही सबसे बड़ा धर्म माना जाता है।

बागेश्वर धाम की नि:शुल्क अन्नपूर्णा

हर मंगलवार और शनिवार: लाखों श्रद्धालु और आम जनमानस प्रेमपूर्वक प्रसाद ग्रहण करते हैं।

अन्य दिनों में हजारों भक्तों के लिए अन्न सेवा निर्विघ्न चलती है।

बालाजी महाराज की कृपा और श्रद्धालुओं के दान सहयोग से यह अन्नपूर्णा सातों दिन, वर्षभर सभी को तृप्त करती है।

पूज्य गुरुदेव धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी स्वयं इस सेवा के संचालन में रुचि लेते हैं, ताकि बागेश्वर धाम के अनेक किलोमीटर क्षेत्र में कोई भी भूखा न रहे।

यह अन्नपूर्णा केवल बागेश्वर धाम तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे देश और विश्व के लिए एक प्रेरणा है कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।

बागेश्वर धाम की अन्नपूर्णा - हिंदू राष्ट्र का एक जीवंत आदर्श

रामराज्य में कोई भूखा नहीं सोता था, बागेश्वर धाम उसी आदर्श को दोहरा रहा है।

यह हिंदू राष्ट्र की वह परिकल्पना है, जहाँ हर व्यक्ति को समान रूप से अन्न, सेवा और सम्मान मिले।

जहाँ जाति, धर्म, वर्ग का कोई भेदभाव नहीं, केवल मानवता का कल्याण हो।

यह सिद्ध करता है कि सनातन धर्म केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि परोपकार और सेवा का सजीव उदाहरण है।

पूज्य गुरुदेव का आह्वान - आइए, इस अन्नपूर्णा में सहभागी बनें

बालाजी महाराज और सन्यासी बाबा की कृपा से हमें यह सेवा करने का अवसर मिला है। यह केवल भोजन नहीं, बल्कि प्रेम, सेवा और समर्पण का प्रसाद है। आइए, हम सभी इस अन्न सेवा में सहभागी बनें, इसे और विशाल बनाएं और पूरे भारत को इस सेवा का केंद्र बनाएं।

जो इस अन्नपूर्णा का प्रसाद ग्रहण करता है, वह धन्य हो जाता है। जो इस अन्न सेवा में सहयोग देता है, वह पुण्य का भागी बनता है। जो इस महान कार्य का हिस्सा बनता है, वह स्वयं सनातन धर्म की रक्षा करता है।

अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर सेवा के इस यज्ञ को और भव्य बनाएं, और हिंदू राष्ट्र की नींव को मजबूत करें।

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