जब हिंदू संगठित होता है, तो इतिहास बदलता है। जब सनातन धर्म जागता है, तो राष्ट्र पुनः विश्वगुरु बनता है।" इसी विचार की जीत हेतु, बागेश्वर धाम सरकार के नेतृत्व में निकली 'सनातन हिंदू एकता पदयात्रा' केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि हिंदू जागरण का महासंग्राम है। लाखों श्रद्धालुओं ने यह महासंग्राम सनातन धर्म की रक्षा, हिंदू एकता और हिंदू राष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ आगे बढ़ा।
आज हिन्दू समाज जाती, भाषा, और क्षेत्रीयता में बंटा हुआ है। यह यात्रा इस विभाजन को समाप्त कर एकजुट हिन्दू शक्ति का निर्माण करने के लिए निकाली।
आज रामायण जलाई जाती है , संतो पर हमले होते हैं, मदिरों को अपवित्र किया जाता है। यह यात्रा इन षड्यंत्रों के विरुद्ध हिन्दू समाज को जागरूक करने का प्रयास है।
यह यात्रा केवल हिन्दुओं को सनगठित करने के लिए नहीं बल्कि भारत को पुनः रामराज्य की ओर ले जाने का संकल्प है, जहाँ धर्म , न्याय , करुणा , और नैतिकता सर्वोपरि है।
इस यात्रा ने यह सिद्ध दिया की लाखों हिन्दू इस संकल्प के लिए एकजुट हैं। भारत का भविष्य युवा पीढ़ी पर निर्भर है। ऐसी यात्रा युवा पीढ़ी को अपने धर्म, संस्कृति, और परम्पराओं, से जोड़ने के लिए आवश्यक है।
यह यात्रा बताती है की हिन्दू राष्ट्र किसी जाती या धर्म विशेष के विरुद्ध नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की सुरक्षा का संकल्प है।
यह यात्रा दिखती है की हिन्दू धर्म की प्रति आस्था रखने वाले लाखों लोग इस राष्ट्र को पुनः उसकी मूल पहचान दिलाने के लिए तैयार हैं। यह जागरूकता फ़ैलाने का सबसे बड़ा माध्यम बानी, जिससे हर हिन्दू को अपने अश्तित्व का बोध हो सके।
श्री राम राजा के समक्ष, आचार्य श्री धीरेन्द्र कृष्णा शास्त्री जी ने कहा - अब हिन्दुओं को जागना ही होगा, अगर आज हूँ नहीं जागे तो हमारी अगली पीढ़ी हमे कभी माफ़ नहीं करेंगी। हिन्दू राष्ट्र कोई राजनैतिक एजेंडा नहीं, बल्कि यह सनातन धर्म की आत्मा को जीवित रखने का संकल्प है। अगर हम संगठित नहीं हुए, तो हमारा अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।