HI : For The Hindu, By The Hindu
सन्यासी बाबा
कैंसर हॉस्पिटल
संत सम्मेलन
Forgot Password
Mahakumbh
लॉरेन पावेल
रामलला दर्शन
साधू जी सीताराम
ffd er re
sd rt wer t
sd g rt wer
exapj o d
this is first
अकेला लड़ रहा हूँ मैं
लड़ूं या गिर ही जाऊं मैं
जो तुम नहीं हो साथ तो
जरा बिखर रहा हूं मैं...
अभी उठा लो मुझको तुम
बाद में न पाओगे
ढूँढ़ने कभी चले तो
खाली हाथ जाओगे…
मैं तो रुका रहूं यहीं
पर चोट कैसे खाऊं ये
जो तुम नहीं हो साथ तो
कहां किसे बताऊं ये...
बिना तेरे खरौंच भी
लगे कि प्राण जायेंगे
पास आके रूठ लो ना
कुछ तो हम मनाएंगे...
अब और थोड़ी देर की
तो फिर ना झेल पाऊंगा
जो तुम नहीं हो साथ तो
ये फिर किसे सुनाऊंगा…
अगर मैं मौन हो गया
तो तुम भी कुछ पछताओगे
एक बार मैं (अ)गर खो गया
तो ढूंढते रह जाओगे...
अगर बुरा हूँ मैं लगा
तो बोल देते मुझसे तुम
जो तुम नहीं हो साथ तो
कहां फिरूं मैं होके गम...
अब हाथ मेरे काँपते
अब मैं न लड़ पाउँगा
बिखर रहा हूँ मैं यहीं
अब ख़ाक मैं बन जाऊंगा...
तुम्हें ही सब मैं मानता
बिखर के भी ये जाऊंगा
जो तुम नहीं हो साथ तो
कहाँ ये सर झुकाउंगा...
अब बात को विराम है
बिखर गया हुं मैं यहीं
अब क्या लड़ूंगा मैं यहां
कलम भी भारी लग रही...